लैंज का नियम
प्रेरित विद्युत वाहक बल या प्रेरित विद्युत धारा की दिशा ज्ञात करने के लिए लैंज के नियम का उपयोग किया जाता है।
लैंज के नियम अनुसार विद्युत चुंबकीय प्रेरण कि प्रत्येक अवस्था में परिपथ में परिपथ विद्युत वाहक बल एवं प्रेरित विद्युत धारा की दिशा सदर इस प्रकार होती है कि विद्युत वाहक बल एवं प्रेरित विद्युत धारा उस कारण का विरोध करती है, जिससे उनकी उत्पत्ति हुई है।
प्रेरित विद्युत वाहक बल या प्रेरित विद्युत धारा सदैव अपने जनक का विरोध करते हैं।
E = –dфв
dt
कुंडली में N फेरे हो तो......
E = –Ndфв
dt
Expansion
Event -1
एक परिपथ में चुंबकीय फ्लक्स सम्मान बढ़ता है, तो प्रेरित धारा से उत्पन्न प्रेरित चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा मूल चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा के विपरीत दिशा में होती है, यदि परिपथ
यदि परिपथ में चुंबकीय फ्लक्स का मान घटता है, तो प्रेरित धारा से उत्पन्न प्रेरित चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा में होती है।
एक दंड चुंबक उत्तरी ध्रुव को किसी कुंडली के पास लाया जाता है, तो कुंडली में तुम मुझे फ्लक्स का मान बढ़ने पर कुंडली में प्रेरित धारा की दिशा किस प्रकार होती है, कि प्रेरित धारा से उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र में उत्तरी ध्रुव दंड चुंबक की ओर बनता है, उत्तरी ध्रुव उत्तरी ध्रुव प्रतिकर्षण होता है, जिसके कारण कुंडली के में उत्पन्न प्रेरित धारा दंड चुंबक को कुंडली से दूर करने का प्रयास करती है,
Event-2
एक दंड चुंबक को किसी कुंडली से दूर ले जाया जाए तो चुंबकीय फ्लक्स का मान घटने पर कुंडली के में धारा इस प्रकार प्रवाहित होती है, कि प्रेरित धारा से बनने वाले चुंबकीय ध्रुव में से दक्षिण दो दंड चुंबक की ओर स्थित हो जाता है, दंड चुंबक की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं व प्रेरित धारा की चुंबकीय प्रेरित क्षेत्र रेखाएं दोनों समान दिशा में होते हैं।
दंड चुंबक का उत्तरी ध्रुव में कुंडली का दक्षिणी ध्रुव एक दूसरे के निकट होने के कारण आकर्षित होते हैं जिससे कुंडली दंड चुंबक की गति का विरोध करती है यह कथन रेंज नियम या ऊर्जा संरक्षण के नियम पर आधारित है ।
फ्लक्स का मान घटता है जिससे कुंडली में धारा इस प्रकार प्रवाहित होती है कि प्रेरित धारा से उत्पन्न होने वाला चुंबकीय क्षेत्र में दक्षिणी ध्रुव दंड चुंबक की ओर स्थित होता है दंड चुंबक की चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं व प्रेरित धारा की चुंबकीय प्रेरित क्षेत्र रेखाओं की दिशा दोनों एक ही होती है दंड चुंबक का उत्तरी ध्रुव कुंडली का दक्षिणी ध्रुव एक दूसरे के निकट होने के कारण एक दूसरे को आकर्षित करते हैं जिससे कुंडली दंड चुंबक की गति का विरोध करती है
यह कथन लैंज नियम व ऊर्जा संरक्षण के नियम पर आधारित है ।
लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम पर ही आधारित है। कल्पना करें कि उत्तरी ध्रुव की कुंडली के पास लाने पर कुंडली में प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार की है कि चुम्बक के सम्मुख कुंडली का फ्लक्स उतरी ध्रुव न बन कर दक्षिण ध्रुव बन जाए। ऐसी स्थिति में अब कुंडली से प्रतिकृर्षित होने के स्थान पर चुम्बक आकर्षित होता तथा कुंडली की ओर त्वरित होता। चुम्बक का त्वरण बढ़ने के साथ-साथ कुंडली में धारा भी बढ़ती जिससे चुम्बक पर बल का तथा फिर त्वरण बढ़ता। इस कारण चुम्बक की गतिज ऊर्जा तथा कुंडली में ऊष्मा की दर iR भी बढ़ती । अतः प्रारंभ में चुम्बक को एक कुंडली की ओर हल्का सा धक्का देने पर ही हम ऊर्जा में भारी मात्रा में वृद्धि प्राप्त सकते थे जो कि ऊर्जा संरक्षण नियम के विपरीत होता अर हमारे द्वारा की गई कल्पना सही नहीं है ।
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