परावैद्युत पदार्थ एवं ध्रुवण।
हम जानते हैं कि परमाणु विद्युत उदासीन होता है। उसका समस्त धनावेश नाभिक में निहित रहता है और ऋणावेश नाभिक के परित: वितरित इलेक्ट्रॉनों के रूप में होता है। दोनों आवेश परिमाण में समान होते हैं। इन दोनों आवेशों के गुरुत्व केन्द्र समान भी हो सकते हैं और भिन्न-भिन्न भी हो सकते हैं। यदि दोनों के केन्द्र समान हैं तो परमाणु अथवा अणु अध्रुवी कहलायेगा और केन्द्र यदि भिन्न हैं तो ध्रुवी कहलायेगा। dielectric materials polarization
इस प्रकार अध्रुवी परावैद्युत पदार्थ के परमाणु अथवा अणुओं में धन एवं ऋण आवेशों का उनके केन्द्रों के परितः वितरण सममित होता है। ऋण एवं धन आवेशों के केन्द्रों के मध्य शून्य दूरी होने के कारण इन परमाणुओं अथवा अणुओं का विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण भी शून्य होता है। ट्रॉन्सफार्मर के तेल में अध्रुवीय अणु होते हैं इसलिए ट्रॉन्सफार्मर का तेल अच्छा परावैद्युत होता है।
अध्रुवी अणु
अतः ध्रुवी परावैद्युत के परमाणुओं अथवा अणुओं में धन एवं ऋण आवेशों का उनके केन्द्रों के परितः वितरण सममिति में नहीं होता है। इस प्रकार दोनों आवेशों के केन्द्रों के मध्य एक निश्चित दूरी होने के कारण इन परमाणुओं अथवा अणुओं का एक निश्चित विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण भी होता हैं। इत्यादि के अणु ध्रुवी अणुओं की श्रेणी में आते हैं। जल के अणु का एक स्थायी द्विध्रुव आघूर्ण 6 x 10-28Cm की कोटि का होता हैं ।
ध्रुवीय अणु
वास्तव में अणुओं में आवेश का वितरण असममित होता है। उदाहरण के लिए, एक आयनिक अणु में एक परमाणु से दूसरे परमाणु में इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरित हो जाते हैं। फलस्वरूप अणु धनात्मक एवं ऋणात्मक आयनों के भिन्न स्थितियों में होने के कारण ध्रुवी हो जाता है और एक स्थायी द्विध्रुव आघूर्ण रखता है।dielectric materials polarization
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